वी बैंकर्स की हुंकार से दूसरे खेमे में हाहाकार - जारी है अफ़वाहों का बाज़ार गरम इसलिए इन अफ़वाहों से रहे सावधान ।। - Kamlesh Chaturvedi

Breaking

Friday, October 16, 2020

वी बैंकर्स की हुंकार से दूसरे खेमे में हाहाकार - जारी है अफ़वाहों का बाज़ार गरम इसलिए इन अफ़वाहों से रहे सावधान ।।

वी बैंकर्स के प्रयासों को देश भर के बैंक कर्मचारियों से मिलने वाले अभूतपूर्व समर्थन से भयभीत यूएफ़बीयू का नेतृत्व हमेशा की तरह बैंक कर्मियों को गुमराह कर उनका ध्यान भटकाने का खेल खेल रहा है - एक सुनियोजित तरीक़े से संदेश वाइरल किए गए हैं कि अधिकारियों का समझौता आज हो गया है और कल कर्मकारों का समझौता हो जाएगा । बैंक कर्मियों की सम्भावित आर्थिक लाभ की गड़ना करने की प्रवृत्ति को ध्यान में रखते हुए अत्यन्त चतुराई के साथ ऐसा दर्शाया जा रहा है मानों याचिका का कोई प्रभाव नहीं पड़ा है । 


विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कल उच्च न्यायालय के आदेश पर भारतीय बैंक संघ (आईबीए) के विधि विभाग ने प्रख्यात क़ानूनविदों से सलाह ली है । इस सलाह के अनुसार बैंक अधिकारी क्योंकि औद्योगिक विवाद अधिनियम के दायरे में नहीं आते और अधिकारी संघठनों के साथ कोई द्विपक्षीय समझौता नहीं होता बल्कि सहमति को दर्शाता Joint Note हस्ताक्षरित होता है - इसलिए अधिकारियों के संघठनों के साथ Joint Note साइन करने में कोई वैधानिक अड़चन नहीं है । आईबीए ने इस क़ानूनी सलाह की जानकारी अपने विश्वसनीय बड़े संघठनों के कर्मकार नेताओं को देते हुए उच्च न्यायालय की सुनवाई से पूर्व एमओयू की निर्धारित अवधि में द्विपक्षीय समझौते के हस्ताक्षरित होने की सम्भावना को ख़त्म कर दिया । 

इसी क़ानूनी सलाह के अनुरूप अधिकारी संघठनों से वार्ता हुई और सभी मुद्दों पर सहमति बनाते हुए ऐसी सहमति पर अधिकारियों के नेताओं के initial ले लिए गए जिसके आधार पर Joint Note का फ़ाइनल ड्राफ़्ट तैयार किया जाना है और यह तय किया गया कि कल Joint Note का अंतिम प्रारूप तैयार करवाकर उस पर करवा लिए जाएँगे । विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अधिकारियों के सबसे बड़े संघठन AIBOC ने आईबीए के समक्ष पूरी तरह समर्पण कर दिया है - AIBOC सदस्यता की दृष्टि से सबसे ताक़तवर संघठन है और यही वजह है कि AIBOC को विश्वास में लेकर ही  Joint Note निर्धारित होता है और शेष संघठनों की विवशता होती है कि वे AIBOC के साथ बनी सहमति पर अपनी स्वीकृति की मोहर लगा दें । AIBOC के इस तरह समर्पण का लाभ उठाते हुए आईबीए ने उसके साथ उन मुद्दों जैसे विशेष भत्ता, पाँच दिवसीय बैंकिंग आदि पर भी सहमति बना कर आज की सहमति पर Initial करवा लिए । बाद में जब कर्मकारों के संघठनों से अनौपचारिक वार्ता हुई तब आईबीए ने उन्हें अधिकारी संघठनों के साथ बनी सहमति की जानकारी दी - इस जानकारी पर कर्मकारों के नेता अवाक रह गए क्योंकि यूएफ़बीयू के घटक होने के नाते जो जानकारी उन्हें AIBOC और अन्य अधिकारी संघठनों से मिलनी चाहिए थी वह आईबीए से मिल रही थी और इस जानकारी में वे कॉमन मुद्दे भी शामिल थे जिन पर अधिकारी कर्मचारी संघठनों से एक साथ वार्ता होनी थी। बस यह जानकारी मिलते ही कर्मकारों के नेताओं ने अपना विरोध प्रकट कर दिया ।

अब बैंक कर्मियों को बताने के लिए कुछ तो चाहिए था अतः सबने मिल कर 20% विशेष भत्ते की माँग और अधिकारियों के 16.4% विशेष भत्ते को लेकर विवाद से सम्बंधित संदेश साझा कर दिया गया । आईबीए इन परिस्थितियों में भी फूट डालने का खेल खेलने से नहीं चूकी - उसने AIBOC और अधिकारी संघठनों को 16.4% विशेष भत्ते पर राज़ी कर कर्मकार संघठनों पर इसी 16.4% विशेष भत्ते पर राज़ी होने के लिए दवाब बना दिया - अब देखना यह है कि क़ानूनी सलाह के अनुरूप कल IBA और अधिकारी संघठनों के बीच Joint Note साइन होता है या नहीं ।यदि कल 16.4% विशेष भत्ते के साथ Joint Note साइन होता है तो इसका मतलब होगा कि आईबीए को कर्मकार संघठनों के विरोध की कोई परवाह नहीं है । 

इसलिए आप सभी लोगों से अनुरोध है कि चालाकी के साथ वाइरल किए जा रहे संदेशों से प्रभावित न हों - ये संदेश वी बैंकर्स की याचिका की सुनवाई के पूर्व द्विपक्षीय समझौते के हस्ताक्षरित न हो पाने की विवशता को स्वीकार करने की जगह अन्य बहाने बनाने की सोची समझी चाल का हिस्सा हैं । 



Recommended Posts