"Mai" Nahi "Hum Sab" - Kamlesh Chaturvedi

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Tuesday, June 23, 2020

"Mai" Nahi "Hum Sab"

सामूहिक हितों के मुद्दों पर किसी तरह की राजनीति नहीं होनी चाहिए - अंशकालीन सफ़ाई कर्मियों को पूर्ण वेतन पर समायोजित किया जाना भी सामूहिक हित से जुड़ा एक ऐसा मुद्दा है जिससे बैंक में कार्यरत हर पीटीएस को उनका न्यायोचित अधिकार मिलना है - ये पीटीएस बैंक में कार्यरत विभिन्न यूनियनों के सदस्य हैं और देश का संविधान प्रत्येक पीटीएस को यह मौलिक अधिकार देता है कि वह जिस यूनियन को पसन्द करे उसका सदस्य बन जाए और जब चाहे सदस्यता को त्याग दूसरी यूनियन का सदस्य बन जाए । इसलिए वैचारिक मतभेदों को एक किनारे और ताक पर रख कर उनके हितों की ख़ातिर सामूहिक संघर्ष होना चाहिए । पीटीएस को फ़ुल टाइम पर समायोजित किए जाने का सिलसिला 1 जनवरी 2006 से शुरू हुआ जब देश की सबसे बड़ी स्टेट बैंक ने अपने यहाँ के पीटीएस को क्रम बद्ध तरीक़े से 31 मार्च 2006 तक फ़ुल टाइम पर समायोजित कर अपने यहाँ से पार्ट टाइम कर्मचारी का पद ही समाप्त कर दिया । इन चौदह वर्षों में लगभग सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में पीटीएस फ़ुल टाइम हो चुके हैं जबकि पंजाब नैशनल बैंक के पीटीएस की क़िस्मत अभी भी उनसे रूठी हुई है । यहाँ तक कि यूनाइटेड और ओबीसी बैंक का मर्जर होने के बाद “बेस्ट ऑफ़ थ्री” का जो नीतिगत फ़ैसला हुआ था जिसके आधार पर तीनों बैंकों में कर्मचारी हित से जुड़ी जो योजना सर्वोत्कृष्ट होगी उसे सभी पर एक समान तरीक़े से लागू किया जाएगा, वह फ़ैसला भी पीएनबी के पीटीएस के लिए लागू नहीं किया गया, यूनाइटेड और ओबीसी बैंक में सफ़ाई कर्मी फ़ुल टाइम थे और इस लिहाज़ से पीएनबी के पीटीएस को फ़ुल टाइम अब तो कर ही दिया जाना चाहिए था -लेकिन ऐसा नहीं हुआ है और यही कारण है कि इन कर्मचारियों में बहुत रोष है और ग़ुस्सा है । रोष और ग़ुस्से के इस दौर में बैंक में कार्यरत लगभग प्रत्येक यूनियन ने मैनज्मेंट को पत्र लिख कर इन्हें फ़ुल टाइम किए जाने की माँग की है । हम सबने विभिन्न यूनियनों द्वारा लिखे गए पत्रों को तो देखा है लेकिन उन पत्रों पर मैनज्मेंट ने क्या जवाब दिया यह देखने के लिए हमारी आँखें तरस रही हैं । किसी यूनियन या नेता की आलोचना करना हमारा मक़सद नहीं है, हमारा एकमात्र मक़सद है कि पीटीएस फ़ुल टाइम हों । इसलिए हर यूनियन का यह कर्तव्य है कि वह बताए कि उसने 01 जनवरी 2006 से पीएनबी के पीटीएस को फ़ुल टाइम करवाने के लिए क्या प्रयास किए हैं ? यदि बैंक उनके द्वारा लिखे गए पत्रों पर कोई कार्यवाही नहीं करती तो वे फ़ुल टाइम की माँग मनवाने के लिए क्या करेंगे ? उनका रोड मैप क्या है ?


जहां तक वी बैंकर्स का सम्बंध है उसने एक पुस्तिका निकाल कर 2007 से अभी तक किए गए प्रयासों को प्रमाण के साथ साझा किया है -अपना रोड मैप भी बता दिया है । लॉकडाउन की वजह से प्रयासों पर विराम लगा हुआ है - मई के महीने में हमने यह स्पष्ट कर दिया था कि सामूहिक हित के मुद्दे पर एकता के महत्व को देखते हुए पीटीएस वर्ग के कर्मचारियों में सक्रिय निष्ठावान और समर्पित साथियों द्वारा अन्य यूनियन के ज़रिए किए जाने वाले प्रयास में हम बाधा नहीं बनना चाहते क्योंकि हमारा यह स्पष्ट मत है कि यदि किसी यूनियन को यह लगता है कि वह अपने अकेले के बूते यह माँग मनवा कर पीटीएस को फ़ुल करवा देगी तो उसे पूरा मौक़ा मिलना चाहिए लेकिन जून का पूरा माह अब समाप्ति की ओर है लेकिन किसी भी यूनियन ने वी बैंकर्स की भाँति न तो अब तक पीटीएस को फ़ुल किए जाने के लिए किए गए प्रयासों को साझा किया है और न ही अपना रोड मैप बताया है । फ़ुल टाइम की माँग पर पीटीएस साथियों में जिस तरह की अधीरता है और जिस तरह वे रोज़ सवाल कर रहे हैं कि हम फ़ुल टाइम कब होंगे -उसे देखते हुए इस मामले को अनिश्चित काल तक नहीं टाला जा सकता। इसलिए पीटीएस साथियों के बीच के उन निष्ठावान और समर्पित साथियों से, जो अन्य यूनियन के माध्यम से इस माँग को मनवाने के लिए प्रयास कर रहे हैं, अनुरोध है कि वे उस यूनियन से वार्ता करें, उससे उसका रोड मैप लेकर साझा करें और एक समय सीमा निर्धारित करें । 

हमें आशा है कि जुलाई माह में लॉकडाउन खुलेगा - जैसे ही लॉकडाउन खुलेगा हम इलाहबाद उच्च न्यायालय में लम्बित याचिका पर शीघ्र निर्णय करवाने का पुरज़ोर प्रयास करेंगे- इसके साथ ही हम पीटीएस साथियों का एक अधिवेशन/सम्मेलन भी करेंगे जिसमें मिल-जुल कर संघर्ष की रणनीति बनाएँगे और सोची समझी उस रणनीति के आधार पर पीटीएस साथियों को एक संघठन के रूप में समूहबद्ध कर आंदोलन भी करेंगे और तब तक चैन से नहीं बैठेंगे जब तक हमें सफलता नहीं मिल जाती । 

पीटीएस के साथियों से एक बार फिर से यह बात कहनी है कि जो अधिकार माँगने से नहीं मिलते वे संघर्ष से हांसिल किए जाते हैं -पीटीएस साथी कोई भीख नहीं माँग रहे जो मैनज्मेंट या किसी यूनियन या नेता की कृपा पर निर्भर हो -फ़ुल टाइम किया जाना उनका संवैधानिक अधिकार है जिसे वे खुद बाबा साहेब के आदर्श को सामने रख कर संघर्ष के ज़रिए हिम्मत, दिलेरी, बहादुरी और एकता के बल पर  हांसिल कर सकते हैं । 

यह लड़ाई है दिए और तूफ़ान की - पीटीएस साथियों के मान, सम्मान और स्वाभिमान की और इस लड़ाई के लिए तुम लिखोगे एक नया इतिहास -अपने मन पैदा करो यह विश्वास । 

जुल्मी कितना जुल्म करेगा - मैनज्मेंट के दलालों के इशारों से 
जब गूँज उठेगा पीएनबी का ज़र्रा ज़र्रा इंकिलाब के नारों से 

टीम वी बैंकर्स 
“मैं” नहीं “हम सब”

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