संघर्ष अभी जारी है - माँ की कृपा हुई तो जीत की तैयारी है ! We Bankers !! - Kamlesh Chaturvedi

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Wednesday, October 21, 2020

संघर्ष अभी जारी है - माँ की कृपा हुई तो जीत की तैयारी है ! We Bankers !!

 वी बैंकर्स की याचिका की सुनवाई कल 



भारतीय बैंक संघ (IBA) के अधिकार, पात्रता और शक्ति को चुनौती देते हुए अवैधानिक आईबीए की जगह बैंक कर्मियों के वेतन, पेंसन और कार्य-दशा के निर्धारण का मामला राष्ट्रीय औद्योगिक न्यायाधिकरण अथवा पृथक वेतन आयोग को सुपुर्द किए जाने की माँग से सम्बंधित याचिका की सुनवाई कल जस्टिस मनोज गुप्ता जी के कोर्ट संख्या 35 में तीसरे नम्बर पर नियत है - इसलिए सुनवाई जल्दी हो जाने की सम्भावना है । कल भारत सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता को भारत सरकार का पक्ष रखना है और बताना है कि वी बैंकर्स के औद्योगिक विवाद पर मध्यस्थता की कार्यवाही 18 मार्च को समाप्त हो जाने और 11 जून को विफलता की रिपोर्ट सरकार के समक्ष प्रस्तुत हो जाने के बाद भी औद्योगिक विवाद अधिनियम की धारा 12(5) के प्रावधानों का अनुपालन अभी तक सरकार द्वारा क्यों नहीं किया गया ? सरकार वी बैंकर्स की माँगों के सम्बंध में देश की संसद द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के अन्तर्गत क्या कार्यवाही कर रही है ?

भारत सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता को भारत सरकार का पक्ष रखते हुए न्यायालय को क्या बताने वाले हैं-इसके बारे में भविष्यवाणी नहीं की जा सकती केवल अनुमान लगाए जा सकते हैं, सम्भावनाएँ तलाशी जा सकती हैं, इन्हीं अनुमानों और सम्भावनाओं को ध्यान में रखते हुए वी बैंकर्स द्वारा कल के लिए अपनी तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है और अपने वरिष्ठ अधिवक्ता से कल के लिए विचार विमर्श हेतु हम फिर से इलाहाबाद में हैं । 

एक सवाल कई विद्वानों ने किया है कि वी बैंकर्स किन बातों का विरोध कर रहा है, किन माँगों के लिए संघर्ष कर रहा है ? सोशल मीडिया पर सक्रिय प्रकांड विद्वानों की जानकारी के लिए एक बार फिर से वी बैंकर्स की माँगों का हिस्सा प्रस्तुत है, अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि वी बैंकर्स के संघर्ष के ज़रिए बैंक कर्मियों का क्या क्या दाँव पर लगा है और क्यों ज़रूरी है सेवारत और सेवा निवृत्त बैंक कर्मियों का वी बैंकर्स के आन्दोलन के साथ संयुक्त होना, इसे अपना समर्थन देना और इसमें भागीदारी कर इसे एक जन-आन्दोलन में परिवर्तित कर देना । 

बैंक कर्मियों के बीच विद्वानों की कोई कमी नहीं है, इन विद्वानों के लिए फ़ेसबुक, whatsapp और ट्विटर के ज़रिए मात्र कुछ पंक्तियों के ज़रिए अपने अथाह ज्ञान की अभिव्यक्ति के स्वरूप आलोचना करना बाएँ हाथ का काम है, इन विद्वानों के ऐसे ज्ञान को सलाम करते हुए हम उनसे आगे आकर ख़ुद कुछ करने का आग्रह करते रहे हैं लेकिन इनकी सारी ऊर्जा और शक्ति केवल सोशल मीडिया पर कुछ लोगों की प्रशंसा पाने तक सीमित है, धरातल पर उतर कर चुनौतियों का सामना करने की जब बात आती है, तब यह प्रकांड ज्ञानी पलायन कर जाते हैं । इसलिए जब जब ये विद्वान अपने ज्ञान का बखान करते हुए आलोचना करें - तब यह सवाल ज़रूर किया जाना चाहिए कि भला सोशल मीडिया पर इस बखान से क्या लाभ होने वाला है ? अपने ज्ञान को चरितार्थ करने के लिए अब तक आपने क्या प्रयास किए हैं ? या तो ख़ुद कुछ कीजिए या फिर जो कुछ कर रहे हैं उन्हें समर्थन देते हुए अपने ज्ञान से लाभान्वित कीजिए । 

वी बैंकर्स अभी दो साल पूर्व एक श्रमिक संघ के रूप में पंजीकृत हुआ है, संघठन निर्माण की प्रारम्भिक अवस्था में है, अभी सभी प्रदेशों में उसकी इकाइयाँ गठित नहीं हुई हैं, सीमित साधन और समर्थन है उसके पास-इसलिए उसकी आलोचना करते वक़्त इन विपरीत परिस्थितियों का ख़याल रखा जाना चाहिए । वी बैंकर्स के नेतृत्व ने प्रकांड विदानों की तरह अपने आप को केवल आलोचना करने तक सीमित नहीं रखा है-आलोचना के साथ साथ उसने विकल्प भी सुझाए हैं, उन विकल्पों के पक्ष में तर्क भी रखे हैं और धरातल पर उतर कर सरकार, सभी नियोक्ता बैंकों, आईबीए और यूएफ़बीयू के सभी घटक संघठनों को एक साथ चुनौती देने का असीम साहस दिखाया है, उसने सिद्ध किया है कि उसके पास बैंक कर्मियों के कल्याण के लिए एक बेहतर वैकल्पिक व्यवस्था के लिए संघर्ष करने की सोच है, विचारधारा है, विपरीत परिस्थितियों में चुनौतियों का सामना करने का माद्दा है - यानि वह सब कुछ है जिसे समर्थन दे कर बदलाव लाया जा सकता है । 

हमें आशा है कि नवरात्रि के पावन पर्व पर बैंक कर्मियों पर देवी माँ की कृपा की बरसात होगी और उनके सौभाग्य को दुर्भाग्य में बदलने वाली प्रथा से उन्हें मुक्ति मिलेगी - परिणाम कैसा भी आए हम अविचल रह कर बैंक कर्मियों की दशा और दिशा दोनों में बदलाव लाने के अपने ईमानदारी से भरे प्रयासों को जारी रखेंगे, बिना रुके बिना थके, कमियों को दूर करते हुए, ग़लतियों को परमर्जित करते हुए !



भारतीय बैंक संघ (IBA) के अधिकार, पात्रता और शक्ति को चुनौती

देते हुए अवैधानिक आईबीए की जगह बैंक कर्मियों के वेतन, पेंसन और कार्य-दशा के निर्धारण का मामला राष्ट्रीय औद्योगिक न्यायाधिकरण अथवा पृथक वेतन आयोग को सुपुर्द किए जाने की माँग से सम्बंधित याचिका की सुनवाई कल जस्टिस मनोज गुप्ता जी के कोर्ट संख्या 35 में तीसरे नम्बर पर नियत है - इसलिए सुनवाई जल्दी हो जाने की सम्भावना है । कल भारत सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता को भारत सरकार का पक्ष रखना है और बताना है कि वी बैंकर्स के औद्योगिक विवाद पर मध्यस्थता की कार्यवाही 18 मार्च को समाप्त हो जाने और 11 जून को विफलता की रिपोर्ट सरकार के समक्ष प्रस्तुत हो जाने के बाद भी औद्योगिक विवाद अधिनियम की धारा 12(5) के प्रावधानों का अनुपालन अभी तक सरकार द्वारा क्यों नहीं किया गया ? सरकार वी बैंकर्स की माँगों के सम्बंध में देश की संसद द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के अन्तर्गत क्या कार्यवाही कर रही है ?

भारत सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता को भारत सरकार का पक्ष रखते हुए न्यायालय को क्या बताने वाले हैं-इसके बारे में भविष्यवाणी नहीं की जा सकती केवल अनुमान लगाए जा सकते हैं, सम्भावनाएँ तलाशी जा सकती हैं, इन्हीं अनुमानों और सम्भावनाओं को ध्यान में रखते हुए वी बैंकर्स द्वारा कल के लिए अपनी तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है और अपने वरिष्ठ अधिवक्ता से कल के लिए विचार विमर्श हेतु हम फिर से इलाहाबाद में हैं । 

एक सवाल कई विद्वानों ने किया है कि वी बैंकर्स किन बातों का विरोध कर रहा है, किन माँगों के लिए संघर्ष कर रहा है ? सोशल मीडिया पर सक्रिय प्रकांड विद्वानों की जानकारी के लिए एक बार फिर से वी बैंकर्स की माँगों का हिस्सा प्रस्तुत है, अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि वी बैंकर्स के संघर्ष के ज़रिए बैंक कर्मियों का क्या क्या दाँव पर लगा है और क्यों ज़रूरी है सेवारत और सेवा निवृत्त बैंक कर्मियों का वी बैंकर्स के आन्दोलन के साथ संयुक्त होना, इसे अपना समर्थन देना और इसमें भागीदारी कर इसे एक जन-आन्दोलन में परिवर्तित कर देना । 

बैंक कर्मियों के बीच विद्वानों की कोई कमी नहीं है, इन विद्वानों के लिए फ़ेसबुक, whatsapp और ट्विटर के ज़रिए मात्र कुछ पंक्तियों के ज़रिए अपने अथाह ज्ञान की अभिव्यक्ति के स्वरूप आलोचना करना बाएँ हाथ का काम है, इन विद्वानों के ऐसे ज्ञान को सलाम करते हुए हम उनसे आगे आकर ख़ुद कुछ करने का आग्रह करते रहे हैं लेकिन इनकी सारी ऊर्जा और शक्ति केवल सोशल मीडिया पर कुछ लोगों की प्रशंसा पाने तक सीमित है, धरातल पर उतर कर चुनौतियों का सामना करने की जब बात आती है, तब यह प्रकांड ज्ञानी पलायन कर जाते हैं । इसलिए जब जब ये विद्वान अपने ज्ञान का बखान करते हुए आलोचना करें - तब यह सवाल ज़रूर किया जाना चाहिए कि भला सोशल मीडिया पर इस बखान से क्या लाभ होने वाला है ? अपने ज्ञान को चरितार्थ करने के लिए अब तक आपने क्या प्रयास किए हैं ? या तो ख़ुद कुछ कीजिए या फिर जो कुछ कर रहे हैं उन्हें समर्थन देते हुए अपने ज्ञान से लाभान्वित कीजिए । 

वी बैंकर्स अभी दो साल पूर्व एक श्रमिक संघ के रूप में पंजीकृत हुआ है, संघठन निर्माण की प्रारम्भिक अवस्था में है, अभी सभी प्रदेशों में उसकी इकाइयाँ गठित नहीं हुई हैं, सीमित साधन और समर्थन है उसके पास-इसलिए उसकी आलोचना करते वक़्त इन विपरीत परिस्थितियों का ख़याल रखा जाना चाहिए । वी बैंकर्स के नेतृत्व ने प्रकांड विदानों की तरह अपने आप को केवल आलोचना करने तक सीमित नहीं रखा है-आलोचना के साथ साथ उसने विकल्प भी सुझाए हैं, उन विकल्पों के पक्ष में तर्क भी रखे हैं और धरातल पर उतर कर सरकार, सभी नियोक्ता बैंकों, आईबीए और यूएफ़बीयू के सभी घटक संघठनों को एक साथ चुनौती देने का असीम साहस दिखाया है, उसने सिद्ध किया है कि उसके पास बैंक कर्मियों के कल्याण के लिए एक बेहतर वैकल्पिक व्यवस्था के लिए संघर्ष करने की सोच है, विचारधारा है, विपरीत परिस्थितियों में चुनौतियों का सामना करने का माद्दा है - यानि वह सब कुछ है जिसे समर्थन दे कर बदलाव लाया जा सकता है । 

हमें आशा है कि नवरात्रि के पावन पर्व पर बैंक कर्मियों पर देवी माँ की कृपा की बरसात होगी और उनके सौभाग्य को दुर्भाग्य में बदलने वाली प्रथा से उन्हें मुक्ति मिलेगी - परिणाम कैसा भी आए हम अविचल रह कर बैंक कर्मियों की दशा और दिशा दोनों में बदलाव लाने के अपने ईमानदारी से भरे प्रयासों को जारी रखेंगे, बिना रुके बिना थके, कमियों को दूर करते हुए, ग़लतियों को परमर्जित करते हुए !



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